पतंजलि फूड पार्क पर मेगा ड्रामा

 संतोष कुमार राय 

उत्तर प्रदेश का सरकारी तंत्र अपनी लचर कार्यशैली के लिए सुप्रसिद्ध है। इसबार इसका कोपभाजन बना पतंजलि फूड पार्क। पिछले मंगलवार को बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि एमडी आचार्य बालकृष्ण द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए मीडिया को यह सूचना दी गई कि नोएडा में बनने वाले फूड पार्क को कहीं और स्थानांतरित किया जायेगा। यह सूचना उन्होने केंद्र सरकार के उस आदेश के परिप्रेक्ष्य में दिया जिसमें केंद्र सरकार ने मेगा फूड पार्क के लिए जून तक का समय दिया था। उन्होने ट्वीट से यह जानकारी साझा करते हुए लिखा, “आज ग्रेटर नोएडा में केंद्रीय सरकार से स्वीकृत मेगा फूड पार्क को निरस्त करने की सूचना मिली। श्रीराम व कृष्ण की पवित्र भूमि के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का संकल्प प्रांतीय सरकार की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया। पतंजलि ने प्रोजेक्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया। आचार्य बालकृष्ण ने ट्विटर पर इसकी एक प्रतिकात्मक तस्वीर भी साझा किया।

दरअसल पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क का शिलान्यास यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार में नवंबर 2016 में किया था। इसे 1666.8 करोड़ रुपए के निवेश से तैयार किया जाना था। ये फूड पार्क 455 एकड़ में बनना है और ऐसा दावा किया गया था कि इसके शुरू होने के बाद 8 हजार से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा। अब ग्रेटर नोएडा में बाबा रामदेव का समूह केंद्र की खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना के तहत मेगा फूड पार्क लगाना चाहता है। उसके लिए समूह के पास अलग से कोई 50 एकड़ जमीन नहीं है। वह उस 455 एकड़ जमीन में से करीब 50 एकड़ पर मेगा फूड पार्क बनाना चाहती है। जरूरी शर्तें पूरा करने वाले समूह को केंद्र की ओर से मेगा फूड पार्क के लिए 150 करोड़ रुपए की सब्सिडी भी देने की योजना है। पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क को यूपी सरकार की ओर से 455 एकड़ जमीन देने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया था और संबंधित आदेश के मुताबिक जमीन पर पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क बनना है। ऐसे में उसी जमीन के एक हिस्से पर मेगा फूड पार्क बनाने के लिए केंद्र से जरूरी मंजूरी और सब्सिडी हासिल करने के लिए पतंजलि को यूपी सरकार से इस बाबत आदेश और स्वीकृति की जरूरत है। यानी यूपी सरकार को कैबिनट से नया प्रस्ताव पास कराना होगा कि पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क के 455 एकड़ में से करीब 50 एकड़ मेगा फूड पार्क के लिए दिए जाते हैं। पतंजलि समूह बीते सवा साल से इसी आदेश को पाने की कोशिश कर रहा था। 

(फोटो- आचार्य बालकृष्ण के ट्विटर से)

मंगलवार की देर रात पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण के एक कड़े ट्वीट ने उसकी राह महज कुछ ही घंटों बना दी। हुआ यूं कि आचार्य बालकृष्ण के ट्वीट को मीडिया की सुर्खिया बनते देर नहीं लगी। उसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खुद इसे सुलझाने की घोषणा किया, साथही उन्होने बाबा रामदेव से बात कर इसे तत्काल हल करने के लिए आश्वस्त भी किया। उसके बाद से ही यूपी के सरकारी तंत्र में अविश्वसनीय तेजी आयी। मेगा फूड पार्क के लिए अलग से जमीन दिए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक के लिए बनाया जा रहा है जिसे 12 जून की कैबिनेट बैठक में पास कराने की तैयारी है। जिसमें यमुना औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में यूपी सरकार की ओर से पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क के लिए आवंटित जमीन में से करीब 86 एकड़ जमीन को पतंजलि समूह की ही एक और कंपनी पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को मेगा फूड पार्क बनाने के लिए स्थानांतरित किया जायेगा, बसर्ते कोई नया कानूनी पेंच नहीं फंसा तो।

इस पूरे प्रकरण ने उत्तर प्रदेश को उद्यमियों के लिए आकर्षक स्थान बनाने और औद्योगीकरण के लिए हर मुमकिन सहूलियतें देने के योगी सरकार के दावों को मजबूत कर दिया है। योगी सरकार ने कुछ महीने पहले इन्वेस्टर्स समिट के जरिए यह माहौल बनाने में कामयाबी पाई थी कि यूपी की छवि बदलेगी। पतंजलि प्रकरण से उत्तर प्रदेश की कार्यसंस्कृति अभूतपूर्व बदलाव और तेजी देखने को मिली है। प्रदेश के विकास और औद्योगीकरण के लिए इसे एक सकारात्मक कदम माना जाना चाहिए।

(17 जून, 2018 के युगवार्ता में प्रकाशित) 

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