संतोष कुमार राय 

पिछ्ले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. यह स्थिति और भयावह हो उससे पहले उत्तर प्रदेश में लंबी अवधि की पूर्णबंदी बहुत जरुरी हो गई है. अब जैसे जैसे महानगरों की स्थिति में थोड़ा सुधार हो रहा है छोटे-छोटे जिलों में कोरोना प्रभावितों की प्रतिदिन मिलने वाली संख्या में वृद्धि हो रही है. प्रदेश सरकार की ओर से हर तरह की सजगता और प्रशासनिक कड़ाई के बावजूद कुल संख्या में प्रतिदिन कुछ न कुछ वृद्धि हो ही रही है.

पिछले कुछ दिनों के आंकड़ों पर नजर डाली जाय तो ये हमें डराने वाले आंकड़ें हैं. अब प्रतिदिन कोरोना संक्रमित केस मिलने का रिकॉर्ड बन रहा है. 24 जुलाई को अब तक का सर्वाधिक 2529 नए पॉजिटिव केस मिले. इससे पहले यह एक दिन में मिलने वाले मरीजों की सर्वाधिक संख्या है. जबकि 22 जुलाई को 2308, 19 जुलाई को 2250 पाजिटिव केस मिले थे। इसका असर यह हुआ है कि राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई. राज्य में कुल संक्रमितों का आंकड़ा अब 60000 के पार हो गया है, जो राज्य सरकार के लिए और आम जनमानस के लिए गहरी चिंता का विषय है. इसमें ख़ुशी की बात यह है कि प्रदेश में पाए गए कुल मरीजों में से 36000 से अधिक मरीज ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं.  हैं, जबकि एक्टिव केस 21000 के आस-पास है. वहीँ केस बढ़ने के साथ ही प्रत्येक 24 घंटे के कोरोना से मरने वालों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. यह सख्या अब 24 घंटे में 36 से ऊपर जा रही है. प्रदेश में मरने वालों की संख्या अब 1300 से अधिक हो गई है. उत्तर प्रदेश में जुलाई महीने में हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी से लगातार रिकॉर्ड टूट रहा है। बीते 2३-24 दिनों में 36000 से अधिक रोगी मिल चुके हैं, जबकि मार्च से जून तक 23070 मरीज मिले थे।

यदि मार्च से जून तक के आंकड़ों पर नजर डाली जाय तो हम पाते हैं कि लॉक डाउन के दौरान कोरोना का संक्रमण उत्तर प्रदेश में बहुत नियंत्रण में था. लॉक डाउन खुलने के बाद से यह बेकाबू होता जा रहा है. पहले जो संख्या पुरे प्रदेश में आती थी अब वह प्रत्येक जिले से मिल रही है जो सरकार के लिए थोड़ी असहजता का कारण बनता जा रहा है. यदि शीघ्र इसका निदान नहीं हुआ तो आने वाला समय प्रदेश की जनता के लिए कितना भयावह होगा, इसका अनुमान लगा पाना कठिन है.

अब सवाल उठता है कि इसे कैसे रोका जाय और इसमें सरकार की क्या भूमिका हो सकती है. इसके लिए लॉक डाउन या पूर्णबंदी बहुत जरुरी है. इसके आलावा और कोई रास्ता भी नहीं है. आम जनमानस के भरोसे इसे रोक लगभग असंभव ही है. अभी भी प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों में सामान्य बंदी या रात्रि कर्फ्यू का कोई बहुत मतलब नहीं है. लोग न तो सजग हैं और न ही सरकारी आदेशों के मान रहे हैं. विशेह्स्कर उन जगहों पर जो सार्वजनिक पहुँच की जगहें हैं. जैसे बैंक, बाजार, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि. इन सभी जगहों को कुछ दिन के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए जिससे संक्रमण की चेन टूटे और इसकी वृद्धि पर रोक लगे, क्योंकि इसके आलावा इसे रोकने का कोई दूसरा साधन नहीं है. अभी तक सरकार की ओर से इस सन्दर्भ में कोई न तो सूचना जारी हुई है और न ही कोई तैयारी दिख रही है. इस बीच अलग-अलग जिलों में प्रशासन की ओर से व्यवस्था की जा रही है जो कि नाकाफी है. अब जरुरत है एक बार फिर से सामूहिक प्रयास करने की. यदि ऐसा होता है तो कोरोना की चेन तोड़ने में सफलता मिलना कोई कठिन काम नहीं है.

(2 अगस्त, 2020 के युगवार्ता में प्रकाशित)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सरकार की विफलता या प्रशासनिक नाकामी

संतोष कुमार राय   उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं को विफल करने में यहाँ का प्रशासनिक अमला पुरजोर तरीके से लगा हुआ है. सरकार की सदीक्षा और योजन...